வெள்ளி, 19 செப்டம்பர், 2008

आज का राजनीतिज्ञ

आज का राजनीतिज्ञ

गरीबी रेखा के
नीचे रहनेवालों को
पैर पकड़ कर उठा रहे है
आज के राजनीतिज्ञ ।
वे पैरों पर खड़ा करने के बजाय
सिर पर खड़ा कर रहे है ।
है तो यह कमाल की बात
पर क्या करें
यह उनकी रोजी रोटी का
सवाल है ।

रचना
बी रविचन्द्रन


(आशिक अपनी माशूका के पास बार बार गया ले कर जज्बाते आरजू । जवाब न मिला । आशिक मायूस हुआ और मायूस हो कर उसने गालिब का यह शेर कहा। कह कर चलने को हुआ तो जवाब आया ...........................)

समर्पण

जब चाहे आवाज दे कर बुला लो मुझे
मैं कोई गया वक्त नहीं कि
लौट कर नहीं आ सकता ।
गालिब नहीं जो बयाँ करूँ
जवाब जरिया-ए-शायरी
मैं तो एक लहर हूँ
पड़ी हूँ कदमों पे तेरे
उठती हूँ बार बार प्यार में
फिर से गिर जाने के लिए
रचना
बी रविचन्द्रन

கருத்துகள் இல்லை: